राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Sunday, October 1, 2023

क्या हनुमानजी बंदर थे- कस रे सठ हनुमान कपि

भगवान श्रीराम की सेवा करने के लिए व्रह्मा जी की आज्ञा से देवता लोग धरती पर वनचर देंह धारण करके आ गए- “वनचर देंह धरी छिति माही” । इस प्रकार हनुमान जी वनचर थे । कुछ लोग मूर्खता बस ऐसा कहते हैं कि हनुमान जी और रामजी की सेना के अन्य बानरों के पूँछ नहीं थी । क्योंकि वे बंदर नहीं थे । लेकिन ऐसा कहना, समझना, मानना और प्रचारित करना सही नहीं है बल्कि मूर्खता है ।

 

अंगदजी जब दूत बनकर लंका में रावण की सभा में गए तब अंगद जी ने रावण से पूछा- ‘कस रे सठ हनुमान कपि’ अर्थात अरे मूर्ख क्या हनुमान जी बंदर हैं ? इस प्रश्न को पूछने का मतलब यह नहीं है कि हनुमान जी बंदर नहीं है । इसका वास्तविक मतलब है कि रे मूर्ख क्या हनुमानजी साधारण बंदर हैं ? इस प्रकार हनुमान जी साधारण बंदर नहीं हैं । जैसे नदियों में गंगाजी साधारण नदी नहीं हैं 

 

  इसी तरह रामजी की सेना के सभी बंदर और भालू साधारण बंदर और भालू नहीं थे ।  लेकिन उनका आकार बंदर और भालू का ही था । और इसलिए उनके पूंछ भी थी ।

 

रामजी की सेना के बानरों और भालुओं का आकार बहुत बड़ा था, उनमें बल बहुत था तथा वे वानर और भालू के रूप में देवता थे । आजकल जैसे वानर और भालू हम लोग देखते हैं छोटे-छोटे वे सब इस तरह छोटे नहीं थे । लेकिन थे बंदर और भालू के ही रूप में ।

 अतः इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि रामजी की सेना के बंदरों और भालुओं में पूँछ थी अथवा नहीं थी । उन सबके पूँछ थी । इस प्रकार हनुमानजी के भी पूँछ थी । इतनी बात सत्य है कि वे सब साधरण बंदर और भालू नहीं थे । विशिष्ट बंदर और भालू थे । इस प्रकार हनुमानजी बंदर हैं लेकिन विशिष्ट बंदर हैं-


जय बजरंगबली गिरिधारी । विग्रह वानराकार पुरारी  ।।


 

।। हनुमानजी महाराज की जय ।।

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