राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Sunday, June 1, 2025

सुन्दरकाण्ड-७- हनुमानजी का लंका में प्रवेश करना और लंकिनी को दंडित किया जाना

 

हनुमान जी महाराज बहुत ही सूक्ष्म आकार बनाकर और राम जी का सुमिरण करके लंका में प्रवेश करने के लिए चल दिए । लंकिनी नाम की एक राक्षसी थी जिसने अति सूक्ष्म रूप में भी हनुमान जी को देख लिया और बोली कि मेरा निरादर करके कहाँ चोरी से (चुपके-चुपके) चले जा रहे हो ।

 

अरे मूर्ख तुमको मेरा भेद मालुम नहीं है । जितने भी चोर हैं वे सब मेरा भोजन हैं । अर्थात तुम भी मेरा भोजन हो ।

 

  हनुमान जी महाराज लंकिनी को दंडित करने के लिए विशाल रूप में आ गए  । और उसे एक मुक्का मारा । जिससे वह खून की उल्टी करती हुई ढुनुमुनी खाकर पृथ्वी पर गिर पड़ी ।


फिर संभल कर उठी और हाथ जोड़कर संकित होकर विनयपूर्वक  बोली- जब व्रह्मा जी ने रावण को वरदान दिया था तो चलते समय मुझे पहचानकर कहा था कि जब तुम एक बंदर के मारने से बिकल हो जाओगी तब समझ लेना कि राक्षसों के अंत का समय आ चुका है ।

 

इस  प्रकार ब्रह्मा जी के वरदान को स्मरण करके लंकिनी हनुमानजी महाराज को पहचान गई और यह भी जान गई कि अब रावण आदि राक्षसों के अंत का समय आ गया है ।

 

।। महावीर हनुमान जी की जय ।।

 

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