।। श्रीहनुमते नमः ।।
अंजना के वारे-दुलारे सिया सुधि लेने
पधारे ।
देवन के मन आशा जागी, हर्षे विपुल
निराशा भागी ।
बनिहैं काज हमारे ।। सिया सुधि लेने
पधारे ।।१।।
जामवंत बल बोलि पठाए, परसेउ गिरि
विश्राम न भाए ।
रघुपति राम सँभारे ।। सिया सुधि लेने
पधारे ।।२।।
सुरसा से वर आशिष पाए, दुष्ट सिहिंका
मारि के आए ।
जय श्रीराम उचारे ।। सिया सुधि लेने
पधारे ।।३।।
वृहद सिंधु नाघि कर आए, लंकिनी को निज
बल दिखलाए ।
मुख में मुद्रिका डारे ।। सिया सुधि
लेने पधारे ।।४।।
खोजे बहुत सिया नहिं पाए, भक्त विभीषण
गृह तब आए ।
दोउ मिलि मंत्र विचारे ।। सिया सुधि
लेने पधारे ।।५।।
मुंदरी दै संदेश सुनाए, अजर अमर
गुननिधि वर पाए ।
कृपा करैं अवधदुलारे ।। सिया सुधि
लेने पधारे ।।६।।
सीता से मिलि बाग उजारे, रावण पालित
लंका जारे ।
असुरन को संघारे ।। सिया सुधि लेने
पधारे ।।७।।
दीन संतोष राम पहिं आए, सीता की सुधि प्रभुहिं
सुनाए ।
कपि हम भए तुम्हारे ।। सिया सुधि लेने
पधारे ।।८।।
रावण जीति सिया प्रभु लाए, राजाराम
अवध में छाए ।
सकल भुवन जयकारे ।। सिया सुधि लेने
पधारे ।।९।।
।। अंजना के वारे दुलारे संकटमोचन हनुमान जी की जय ।।
No comments:
Post a Comment