राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Wednesday, January 1, 2025

अंजना के वारे-दुलारे सिया सुधि लेने पधारे

 

।। श्रीहनुमते नमः ।।

 

अंजना के वारे-दुलारे सिया सुधि लेने पधारे ।

देवन के मन आशा जागी, हर्षे विपुल निराशा भागी ।

बनिहैं काज हमारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।१।।

जामवंत बल बोलि पठाए, परसेउ गिरि विश्राम न भाए ।

रघुपति राम सँभारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।२।।

सुरसा से वर आशिष पाए, दुष्ट सिहिंका मारि के आए ।

जय श्रीराम उचारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।३।।

वृहद सिंधु नाघि कर आए, लंकिनी को निज बल दिखलाए ।

मुख में मुद्रिका डारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।४।।

खोजे बहुत सिया नहिं पाए, भक्त विभीषण गृह तब आए

दोउ मिलि मंत्र विचारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।५।।

मुंदरी दै संदेश सुनाए, अजर अमर गुननिधि वर पाए ।

कृपा करैं अवधदुलारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।६।।

सीता से मिलि बाग उजारे, रावण पालित लंका जारे ।

असुरन को संघारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।७।।

दीन संतोष राम पहिं आए, सीता की सुधि प्रभुहिं सुनाए ।

कपि हम भए तुम्हारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।८।।

रावण जीति सिया प्रभु लाए, राजाराम अवध में छाए ।

सकल भुवन जयकारे ।। सिया सुधि लेने पधारे ।।९।।

 


।। अंजना के वारे दुलारे संकटमोचन हनुमान जी की जय ।।

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