राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Friday, December 6, 2024

वानर रूप में शिव भगवान केसरीनंदन जय हनुमान

 

।। श्रीहनुमते नमः ।।

 

वानर रूप में शिव भगवान ।

केसरीनंदन जय हनुमान ।।१।।

अंजनानंदवर्धन सुत वात ।

अघटित घटन विश्वविख्यात ।।२।।

ह्रदय विराजत कोसलभूप ।

सुंदर श्यामल रूप अनूप ।।३।।

रामदूत अन्वेषण पंडित ।

महाबली सुर नर मुनि वंदित ।।४।।

मन को अगम करत सोउ काज ।

हरि हर विधि वरनत रघुराज ।।५।।

दीन मलीन राम से जोरत ।

बार-बार रघुनाथ निहोरत ।।६।।

रोग दोष दुख कष्ट मिटावत ।

दीनबंधु रघुवीर मिलावत ।।७।।

भूत प्रेत ग्रह क्रूर नसावत ।

अशुभ प्रभाव निकट नहि आवत ।।८।।

रामदूत कपिश्रेष्ठ जो ध्यावत ।

लोक और परलोक बनावत ।।९।।

सीता राम लखन जन गावत ।

हर गिरजहुँ की कृपा पावत ।।१०।।

सुर नर मुनि के बंध छुड़ावत ।

रामदास जन काज बनावत ।।११।।

दीन संतोष शीश पद नावत ।

सुनौ कपीस तोहिं गोहरावत ।।१२।।

 

।। जय श्रीराम ।।

।। जय श्रीहनुमान ।।

 

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