राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Sunday, September 1, 2024

श्रीराम गीता-भाग १४ (भगवान श्रीराम के सर्वात्मक और सर्वशासक स्वरूप का वर्णन- भाग एक)

 

भगवान श्रीराम कहते हैं कि पवननंदन ! मैं संपूर्ण लोकों का एकमात्र स्रष्टा, सभी लोकों का एकमात्र पालक, सभी लोकों का एकमात्र संहारक, सबकी आत्मा सनातन परमात्मा हूँ ।

सर्वलोकैकनिर्माता  सर्वलोकैकरक्षिता ।

सर्वलोकैकसंहर्ता सर्वात्माहं  सनातनः ।।

 

मैं समस्त वस्तुओं के भीतर रहने वाला अन्तर्यामी आत्मा तथा सबका पिता हूँ । सारा जगत मेरे ही भीतर स्थित है, मैं इस संपूर्ण जगत के भीतर स्थित नहीं हूँ । वत्स ! तुमने जो मेरा अद्भुत स्वरूप देखा है, यह मेरी एक उपमा मात्र है । इसे मैंने माया द्वारा दिखाया है । मैं सभी पदार्थों के भीतर रहकर संपूर्ण जगत को प्रेरित करता हूँ । यह मेरी क्रिया शक्ति का परिचय है ।

                   

हनुमन ! यह संपूर्ण विश्व मेरे सहयोग से ही चेष्टाशील होता है । यह मेरे स्वभाव का ही अनुसरण करने वाला है । मैं ही सृष्टिकाल में समस्त जगत की रचना करता हूँ । तथा एक दूसरे रूप से इसका संहार भी करता हूँ । ये दोनों प्रकार की अवस्थाएँ मेरी ही हैं ।

 

मैं आदि,मध्य और अंत से रहित तथा माया तत्व का प्रवर्तक हूँ । मैं ही सृष्टि के आरंभ में प्रधान और पुरुष दोनों को क्षुब्ध करता हूँ । फिर परस्पर संयुक्त हुए उन दोनों से ही सबकी उत्पप्ति होती है ।

 

।। जय श्रीराम ।।

।। जय श्रीहनुमान ।।

No comments:

Post a Comment

विशेष पोस्ट

श्रीराम गीता-भाग १४ (भगवान श्रीराम के सर्वात्मक और सर्वशासक स्वरूप का वर्णन- भाग एक)

  भगवान श्रीराम कहते हैं कि पवननंदन ! मैं संपूर्ण लोकों का एकमात्र स्रष्टा, सभी लोकों का एकमात्र पालक, सभी लोकों का एकमात्र संहारक, सबकी आत्...

लोकप्रिय पोस्ट

Labels

अंजना माता अंजना सुवन अद्वितीय अध्ययन अयोध्या आत्मा आत्मा का विज्ञान आत्मा क्या है उपदेश उपनिषद ऋष्यमूक पर्वत किष्किंधा केसरी जी केसरी नंदन केसरीजी गंधमादन पर्वत गुरू गुरू दक्षिणा जामवंतजी जीव ज्ञान पढ़ाई परमात्मा पवनजी पवनतनय पवनदेव पूँछ प्रश्न बंदर बालाजी भक्त भक्ति yog भक्ति योग भगवान भगवान श्रीराम भालू भेद मतंग मुनि महावीर माया योग राम दूत रामजी लक्ष्मणजी लोक वानर विद्या विराट स्वरूप वेद शंकरजी शास्त्र शिक्षा शिष्य श्रीराम श्रीराम गीता श्रीहनुमान सचिव सनातन सांख्ययोग सीताजी सुग्रीव जी सुग्रीवजी सुमेरु पर्वत सूर्य देव सूर्य देव जी सेवक स्वामी हनुमान हनुमान जयंती हनुमानजी हनुमानजी के गुरू