आज अर्थात चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमानजी महाराज की जयंती है । वैसे ग्रंथों के अनुसार हनुमान जी की जयंती कल्प भेद से एक वर्ष में कई बार आती है । श्रीबाल्मीकि रामायण के अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को भी यानी दीपावली से एक दिन पहले हनुमानजी महाराज की जयंती आती है । इनके अलावा और भी तिथियाँ हैं लेकिन इन दोनों तिथियों को हनुमानजी की जयंती विशेष रूप से मनाई जाती है ।
।। श्रीहनुमते नमः ।।
बाँके कपि केसरी अंजना के लाल हो ।
रामकथा मानस के रसिक मराल हो ।।१।। बाँके कपि.।।
चहुँजुग तिहुँपुर तीनहुँ काल हो ।
गुनगन उजियारे विरद विशाल हो ।।२।। बाँके कपि.।।
बालकेलि सुधि कर दिनकर बाल हो ।
डरपत मुख लीन्हेउ एक उछाल हो ।।३।। बाँके कपि.।।
जलधि को लाँघि गयो मुदरि धरि गाल हो ।
प्रभु पहिं आयो लेके सीताजी को हाल हो ।।४।। बाँके कपि.।।
रामदूत राम जन करत निहाल हो ।
खल-बल तोड़नहारे काल को कराल हो ।।५।। बाँके कपि.।।
सुजन को सौम्य बड़े सेवकपाल हो ।
दुर्जन को महावीर बड़ो विकराल हो ।।६।। बाँके कपि.।।
दानव दैत्य भूत प्रेत आदि बेताल हो ।
तेरो नाम सुनि होत सकल बेहाल हो ।।७।। बाँके कपि.।।
रोग दोष दुख घेरे लेत निकाल हो ।
तुम बिनु कौन तोड़े जग दुख जाल हो ।।८।। बाँके कपि.।।
दीन संतोष देखो दीन को दयाल हो ।
मोसे दीन दूबरे को सहज कृपाल हो ।।९।। बाँके कपि.।।
सबबिधि दीन हीन बड़ो कलिकाल हो ।
सीताराम स्वामी और तुहीं प्रतिपाल हो ।।१०।। बाँके कपि.।।
।। जय महावीर हनुमानजी की ।।
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