राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Sunday, November 3, 2024

जय बजरंगबली गिरिधारी विग्रह बानराकार पुरारी

 

 । श्रीहनुमते नमः 


जय बजरंगबली गिरिधारी ।

विग्रह बानराकार पुरारी ।।१ जय. ।।

राम काज कारन बपु धारी ।

मंगल मूल अमंगल हारी ।।२ जय. ।।

लहत मोद प्रभु वदन निहारी ।

रामभक्त सेवक हितकारी ।।३ जय. ।।

निज सेवा बस किहेउ खरारी ।

सुखसागर श्रीराम सुखारी ।।४ जय. ।।

साधु संत सुर नर मुनि नारी ।

गावत गुन कहि महिमा भारी ।।५. जय. ।।

बाल समय मुख धरेउ तमारी ।

छाई लोक सकल अँधियारी ।।६. जय।।

विनय सुनत लखि लोक दुखारी ।

छाड़ेउ रवि फैली उजियारी ।।७ जय. ।।

सीता खोजि भालु कपि हारी ।

बोले बस अब आस तुम्हारी ।।८ जय. ।।

सीता सुधि लायेउ पुर जारी ।

राम कहेउ सुत बड़ उपकारी ।।९ जय. ।।

लखन गिरेउ जब समर मझारी ।

दिहेउ सजीवन द्रोण उपारी ।।१० जय. ।।

नाग फाँस बस देखि अघारी ।

महावीर लायेउ उरगारी ।।११ जय. ।।

सेन सहित अहिरावण मारी ।

अनुज सहित लायेउ दनुजारी ।।१२ जय. ।।

गिरि गोवर्धन उपकृत भारी ।

वृजमण्डल महुँ थपेउ विचारी ।।१३ जय. ।।

पारथ रथ ध्वज कहे मुरारी ।

बसे विजय भारत अधिकारी ।।१४ जय. ।।

साधु संत सब कहत पुकारी ।

राखे कोटि गरीब सुधारी ।।१५ जय. ।।

राम तात सीता महतारी ।

अब जनि राखो मोहि बिसारी ।।१६ जय. ।।

कृपा कोरि मोहि बेगि निहारी ।

रामदूत अब लेउ उबारी ।।१७ जय. ।।

दीन संतोष करवरें टारी ।

होउ सहाय दीन दुख हारी ।।१८ जय. ।।

 

 । जय बजरंगबली गिरिधारी की 

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