राम प्रभू के निकट सनेही । दीन मलीन प्रनत जन नेही ।।
अघ अवगुन छमि होउ सहाई । संतोष मिलैं जेहिं श्रीरघुराई ।।

Saturday, July 29, 2023

हनुमानजी के जन्म की भूमिका- रूद्र देंह तजि नेह बस, वानर भे हनुमान

 

                । श्रीहनुमते नमः । 


जब यह निश्चित हो गया कि भगवान श्रीराम अयोध्याजी में राजा दशरथ के यहाँ पुत्र रूप में अवतरित होंगे तब व्रह्मा जी की आज्ञा से देवता लोग वानर और भालु जैसे शरीर धारण करके धरती पर छा गए ।

 

 भगवान शंकर भगवान के अनन्य भक्त हैं । भगवान की सेवा करने के लिए शंकरजी ने अपने को वानर रूप में प्रगट करने की योजना बनाई । भगवान स्वयं मनुष्य रूप में अवतरित होने वाले थे इसलिए शंकरजी मनुष्य से इतर वानर रूप में आने का निश्चय किया ।

 

 शंकर जी का मुख्य उद्देश्य था भगवान की सेवा करना और शंकर जी ने सोचा कि सेवा तो वानर रूप में जाकर ही बनेगी । क्योंकि स्वामी स्वयं मनुष्य रूप में रहेंगे तो उनके समकक्ष न होकर मनुष्य से थोड़ी छोटी समझी जाने वाली वानर योनि में जन्म लेकर न भूतो न भविष्यति सेवा करूँगा । और शंकर जी ने ऐसा ही किया ।

 

  इस प्रकार भगवान श्रीराम के स्नेह बस शंकर जी ने वानर बनकर रामजी की सेवा करने का निश्चय किया-

 

जेहि शरीर रति राम से, सो आदरहिं सुजान ।

रूद्र देंह तजि नेह बस, वानर भे हनुमान ।।


 

।। हनुमानजी महाराज की जय ।।

 

विशेष पोस्ट

सुन्दरकाण्ड-७- हनुमानजी का लंका में प्रवेश करना और लंकिनी को दंडित किया जाना

  हनुमान जी महाराज बहुत ही सूक्ष्म आकार बनाकर और राम जी का सुमिरण करके लंका में प्रवेश करने के लिए चल दिए । लंकिनी नाम की एक राक्षसी थी जिसन...

लोकप्रिय पोस्ट

कुछ पुरानी पोस्ट

Labels

LNKA pvn अंगदजी अंजना माता अंजना सुवन अंजनानंदवर्धन अद्वितीय अध्ययन अमरावती अयोध्या अश्वनीकुमार आत्मा आत्मा का विज्ञान आत्मा क्या है आदित्य इन्द्रदेव उपदेश उपनिषद ऋतु ऋष्यमूक पर्वत कपि केसरी किरात किष्किंधा केवट केसरी जी केसरी नंदन केसरीजी केसरीनंदन कोल क्षण गंधमादन पर्वत गीत गुरू गुरू दक्षिणा चौराहा जटायुजी जल जामवंतजी जामवन्तजी जीव ज्ञान दिवस दीनबंधु देवगण निमेश पढ़ाई परमात्मा परीक्षा पर्वत पवन देव पवनजी पवनतनय पवनदेव पाठ पार्वती पार्वतीजी पूँछ प्रश्न फल बजरंगबली बंदर बल बालाजी ब्रह्मा जी भक्त भक्ति yog भक्ति योग भगवान भगवान राम का विश्वरूप भगवान श्रीराम भालू भील भेद मतंग मुनि मन्वंतर महात्म्य महावीर माया मित्र मुहूर्त मैनाक पर्वत यमदेव योग राम राम दूत रामकाज रामजी राहु माता लंका लंका. भोगावती लंकिनी लक्ष्मणजी लक्ष्मी लोक वरदान वानर विद्या विराट स्वरूप विश्राम वेद शंकर जी शंकरजी शास्त्र शिक्षा शिव भगवान शिष्य श्रीराम श्रीराम गीता श्रीहनुमान सचिव सड़क सनातन संपातीजी समुद्र समुंद्र सरस्वती सांख्ययोग सावित्री सिंहिका सीताजी सीताजी की खोज सुग्रीव जी सुग्रीवजी सुन्दरकाण्ड सुमेरु पर्वत सुरसा सूर्य देव सूर्य देव जी सूर्यदेव सेवक स्तुति स्वामी हनुमान हनुमान जयंती हनुमान जी हनुमानजी हनुमानजी के गुरू